अरध्या को कोलेज़ में आए अभी एक हफ़्ता भी नहीं हुआ था कि पूरे कोलेज़ के लड़कों में उसके बड़े बड़े, तने हुए गोल गोल स्तन और मोटे मोटे नितम्बों के चर्चे होने लगे थे। अरध्या ने अभी अभी कैथल के इन्ज़िनियरिन्ग कोलेज़ में आई टी ब्रांच में प्रवेश लिया था। अरध्या कोहर वैसे कोटा से थी पर ए.आई.ई.ई.ई. के कारण उसे यही कोलेज़ मिला था जो कि उसके शहर से काफ़ी दूर है। इसी कारण उसे होस्टल में रहना था।
अरध्या अपने माँ-बाप की इकलौती बेटी है और अपने पापा की बहुत लाड़ली है। उसका व्यव्हार बिल्कुल बच्चों जैसा था। उसे सेक्स के बारे में कोई ज्ञान नहीं था। पर ऐसा भी नहीं था कि वो इससे बिल्कुल अनभिज्ञ थी। बस उसे सही जानकारी नहीं मिल पाई थी।
अरध्या पहले दिन कक्षा में आई तो सबकी नज़र उसके गोल-गोल स्तनों पर पड़ी। पूरी कक्षा में उसके जैसे तने हुए और सुडौल वक्ष शायद किसी लड़की के नहीं थे। उसे तंग ब्रा पहनने की आदत थी जिस कारण उसके वक्ष का ऊपरी हिस्सा फ़ूला हुआ रहता था। शायद यह कसी हुई ब्रा ही उसके वक्ष की सुडौलता का राज़ थी। उसका कद होगा कोई ५’ ४” और फ़ीगर होगी ३५-२८-३६, कन्धे तक लम्बे बाल।
उसके नयन-नक्श तो साधारण थे, नाक लम्बी थी। जब वो चलती थी तो उसके स्तन उसकी चाल के साथ ही चाल मिला कर उछलते थे। कोलेज़ में आते ही उसकी सबसे पहली सहेली अभी उसकी होस्टल की रूम-मेट पूनम ढींगरा, जो कि बिहार से थी और कुछ खास सुन्दर नहीं थी। अरध्या के सामने तो वो बदसूरत ही लगती थी।
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हालांकि उसके स्तन भी काफ़ी बड़े और तने हुए थे और पूनम अरध्या से ज्यादा पतली कमर वाली थी, पर अरध्या के गोरे रंग और गदराए बदन के सामने पूनम की ओर किसी का ध्यान ही नहीं जाता था। कोलेज़ का हर लड़का अरध्या को देखते ही उसके नंगे बदन की कल्पना करने लगता था। जाने कितने लरके उसके बारे में सोच सोच कर मुठ मारते थे।
पूनम बिहार से होने के कारण सेक्स के ममले में अरध्या से कहीं ज्यादा जानती थी। जहाँ एक तरफ़ अरध्या ने अपनी चूत में कभी उँगली तक नहीं घुसाई थी तो वहीं दूसरी तरफ़ पूनम कई बार सेक्स कर चुकी थी बल्कि केला, बैंगन जैसी चीज़ों का इस्तेमाल भी बखूबी जानती और करती थी।
बस अब क्या होना था, अरध्या को एकदम सही लड़की मिल गई थी। धीरे धीरे दोनों काफ़ी अच्छी दोस्त बन गई। अब तो अपने पसन्दीदा लड़कों की बातें करने में भी दोनों को बिल्कुल शरम नहीं आती थी। फ़िर धीरे धीरे अपनी ड्रेस से लेकर अधोवस्त्रों तक की बातें खुलकर होने लगी। कई बार तो रितु अरध्या के सामने नंगी भी हो जाती थी। शुरू में तो अरध्या थोड़ी शरमा जाती थी पर फ़िर पूनम के बार बार उकसाने पर वो भी कभी कभी पूनम के सामने नंगी हो जाया करती थी।
शुरुआत का शरमीलापन आखिरकार खत्म होता गया और दोनों एकदम खुल गई। फ़िर तो दोनों अपनी झाँटे भी एक दूसरे से ही शेव करवाने लगी। इस से एक तो शेव अच्छी तरह हो जाती थी, दूसरा कट लगने का डर कम हो जाता था। पहली बार तो अरध्या पूनम से शेव करवाने में शरमा रही थी पर जब पूनम ने कई बार उस से अपनी झांटें शेव करवा ली तो अरध्या भी पूनम से ही अपनी झांटें शेव करवाने के लिए तैयार हो गई।
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“वाह यार ! बड़ी नर्म -नर्म और सुलझी हुई झांटें हैं तेरी तो … एक दम इंग्लिश हिरोइनों की तरह … रंग भी ब्राऊन है !” जब पहली बार पूनम ने अरध्या की झांटें देखी तो उसके मुंह से ये निकला। आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है l
अरध्या थोड़ा शरमाई पर मन ही मन अपनी झांटों की तारीफ़ सुनकर खुश भी हुई। पूनम कई बार अरध्या की चूत का मुआयना करने के चक्कर में भी रहती थी पर अरध्या की शर्म इतनी भी नहीं खुली थी। इसलिए वो पूनम को अपनी झांटों से नीचे नहीं पहुँचने देती थी।
पूनम को तो शुरू से ही नंगी होकर सोने की आदत थी, पर अब उसने अरध्या को भी यह आदत डालने की कोशिश में लग गई थी। पूनम ने उसे नंगी सोने के ऊपर बहुत बार लंबे -चौड़े भाषण दिए, तब कहीं जाकर अरध्या को नंगी होकर सोने के लिए तैयार कर पायी। तो अंततः दोनों हॉस्टल के कमरे में एकदम नंगी होकर सोने लगी थी।
एक रात अरध्या की नींद खुली तो उसने महसूस किया कि उसकी टांगों के बीच में हल्की -हल्की गुदगुदी हो रही थी जैसे कि कोई चींटी उसकी टांगों के बीच से चूत की तरफ़ बढ़ रही हो। पहले तो अरध्या ने सोचा कि इस गुदगुदी को जारी रहने दूँ क्यूंकि उसे मज़ा सा आ रहा था पर फ़िर उसने सोचा कहीं कोई और कीड़ा -मकोड़ा न हो इसलिए उसने झट से अपना हाथ गुदगुदी वाली जगह पर लगाया तो पाया कि वो कोई चींटी नहीं बल्कि पूनम की ऊँगली थी।
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