प्यासी चूत

छोटी साली नीला.. न जाने क्यों मेरी शादी से पहले से ही मुझ पर बड़ी मेहरबान थी। उस वक्त वह छोटी थी। उसकी छाती बिल्कुल सपाट थी, मेरी उसकी ओर आकर्षित होने की कोई ख़ास वजह नहीं थी। हाँ.. वह दिखने में मेरी बीवी से ज्यादा खूबसूरत थी। बस इसी वजह से मैं उसके गोरे-चिट्टे गालों को सहला कर धन्य होने का अनुभव कर लेता था।

उसके जवानी में कदम रखते ही काफी कुछ बदल गया था। उसके मम्मे भी मानो पक कर बड़े आम जैसे हो गए थे। जिसको देखना और छूना मेरी चाहत बन गई थी.. लेकिन वह मेरी फितरत में नहीं था.. मैं ऐसा मानकर चलता था।

परन्तु बात कुछ अलग थी। वह अकसर मेरे घर आती थी। उसकी शादी के बाद भी यह सिलसिला जारी था। शुरू से ही वह किसी न किसी बहाने मेरे पास आती थी। मुझे छूने का प्रयास करती थी। शादी के बाद अपने पति और अन्य लोगों की मौजूदगी में भी वह बिंदास मेरी गोद में सर रखकर सो जाती थी।

शादी के पहले तो उसने हद ही कर दी थी। मेरे माता-पिता और मेरी सास के सामने.. वह मेरे बगल में आकर सो गई थी।

रिश्ते में वह मेरी साली थी। इस नाते हम दोनों के बीच मस्ती-मजाक होना सहज बात थी। लेकिन न जाने क्यों.. उस का ध्यान सदा मेरी इर्द-गिर्द ही लगा रहता था।
जब वह मेरे घर आती थी। वह रात भर सोती नहीं थी। वह बिस्तर में पड़ी चुपचाप अपने जीजू और दीदी की चुदाई का मजा लूटती थी। उन्हीं के बारे में सोचा करती थी।

एक बार मेरी बीवी तबियत खराब होने की वजह से जल्दी सो गई थी। इसी कारण चुदाई की छुट्टी हो गई थी। मैं एक दिन भी अपनी बीवी को चोदे बिना रह नहीं पाता था।

कुछ कदम के फासले पर पलंग पर नीला सोई हुई थी। वह जाग रही थी। यह देखकर मैंने उसका हाथ पकड़ लिया। तब एक नजर उसने पहले अपनी दीदी को देखा। उसकी आँखें मानो मुझे न्योता दे रही थीं। मैं सीधा ही पलंग पर चढ़कर उसकी बगल में लेट गया। उसके मौन ने मुझे यह मानने पर उकसाया था। वह मुझसे चुदवाना चाहती है।

मैं सीधा ही उसके शरीर पर चढ़कर लेट गया। मेरा लौड़ा उसकी चूत पर टिक गया था। मैंने उसके होंठों को दीर्घ चुम्बन देते हुए उसके ब्लाउज में हाथ डालकर उसकी चूचियों को पकड़कर मसलना शुरू कर दिया।
उसने बिना कुछ कहे अपना ब्लाउज ऊपर करके अपने दोनों मम्मों को मेरे सामने खोल कर रख दिए। उसने अन्दर कुछ भी नहीं पहना हुआ था।

मैंने उसके बाईं चूची को हाथ में लेकर उसकी चूची को मसलना शुरू किया और मेरा मुँह उसके दाहिने मम्मे की चौंच को मुँह में लेकर उसका दूध पीने लगा।

उसने अपना पेटिकोट निकाल दिया, नीचे उसने चड्डी भी नहीं पहनी थी। उसकी दीदी की तबियत ठीक नहीं थी। उस हालत में उसकी भूमिका निभाने के लिए मानो उसने पूरी तैयारी कर रखी थी, वह बिल्कुल नंगी थी।
उसे देखकर मेरा लौड़ा टाईट हो गया था, मैंने अपने दूसरे हाथ की ऊंगलियों को उसकी गांड में घुसेड़ दिया।
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दस मिनट तक लगातार दूध पीने के बाद मैंने अपना लौड़ा उसकी प्यासी चूत में डालने की कोशिश की.. तो उसने मुझे रोककर कहा- पहले मुझे आपका लौड़ा चूसना है।
यह कहकर वह फौरन मेरे लौड़े को मुँह में लेकर चूसने लग गई।

मुझे पेशाब लगी थी। मैंने उसे रोका तो उसने मुझसे कहा- अपना पेशाब जाया मत करो.. दीदी की तरह मुझे भी तुम्हारा पेशाब पीना है। उससे ही मैं अपने शरीर को नहलाना चाहती हूँ।
मैंने अपने लंड की पिचकारी से नीला का सारा बदन अपने पेशाब से गीला कर दिया।

बाद में 69 की अवस्था में मैंने नीला को सेक्स का नया अनुभव दिलाया था। वह मेरे लौड़े को और मैं उसकी चूत को चूस रहा था।
सेक्स की मजा लेते हुए नीला ने सच्चाई पर से परदा हटाया था- मैं आज दिन तक आप से नाराज थी जीजाजी।

मैं अपने पैरों के बीच उसको उल्टा लिटा कर पीछे से उसके दोनों मम्मों को सख्ती से मसलने लगा- मैंने भला कौन सा अपराध कर डाला था?
‘क्या एक लड़की को सेक्स के लिए उकसाकर उसे गरम करके ऐसे प्यासी ही छोड़ देते हैं?’
‘क्या कहना चाहती हो? मैं कुछ समझ नहीं पा रहा हूँ।’

‘आज से पहले मैंने मेरी चुदाई के कितने मौके गंवा दिए हैं? हर बार तुमने थोड़ी छेड़खानी करके मेरे मम्मों को पकड़ कर उसको दबोच कर.. उसको चूमकर मेरी चूत पर केवल लौड़ा दबा कर मुझे उत्तेजित करके छोड़ दिया है। कोई भी स्त्री अपने मम्मों को हाथ लगाने नहीं देती। अगर वह ऐसा करती है.. तो इसका एक ही मतलब निकलता है कि वह आप से चुदवाना चाहती है। मैंने तुम्हें मेरे मम्मों को छूने का मेरे ब्लाउज में हाथ डालने का अधिकार दिया था। फिर भी तुमने अपने कदम आगे नहीं बढ़ाया और मुझे हर बार तड़फता छोड़ दिया।’

‘तुम मेरी साली हो, साली माने बहन होती है। मैं भला तुम्हारे साथ ऐसी-वैसी हरकतें कैसे कर सकता हूँ?’
‘साली का दूसरा मतलब आधी घरवाली भी होता है। इस नाते हम कुछ भी कर सकते हैं। किसी को इस बात का संदेह भी नहीं होगा।’

उसकी बातें सुनकर मैं चकित हो गया।
मैं उससे और अधिक जवाब-तलब करूँ.. उसके पहले ही उसने मेरे लौड़े को कुतिया की तरह चाटते हुए मुझसे कहा-जीजू.. तुम बिल्कुल बुद्धू हो.. इशारों में कुछ समझते नहीं हो। मैं शादी के बाद भी तुमसे चुदवाने को तैयार थी। मैंने तुम्हारी सरलता के लिए मेरी साड़ी को जाँघों तक लाकर मेरी चड्डी का नजारा दिखाया था। तुम्हें केवल उसको खींचना भर था। उसमें इलास्टिक लगा हुआ था.. वो आसानी से निकल जाती। मैं तुम्हें अपना दूध पिलाना चाहती थी। लेकिन तुम तो बिल्कुल डरपोक निकले।’

मैं उसे मन्त्र मुग्ध सा होकर सुने जा रहा था..

वो आगे बोली- मैं अपनी आँखें बंद करके सोच रही थी कि तुम मेरी चड्डी निकाल रहे हो, मुझसे अपना ब्लाउज खोलने की गुजारिश कर रहे हो। लेकिन तुम में तो मेरे करीब आने का.. मुझे छूने का भी साहस नहीं था। तुमने आकर मुझे जरा सा छुआ भी होता.. तो मैं बाकी का काम तुम्हारे लिए आसान कर सकती थी। अब तुम ही बताओ.. मुझे गुस्सा आएगा या नहीं?

‘हाँ नीला.. मैं वाकयी में सबसे बड़ा बेवकूफ था। इसलिए उसके पहले दो लड़कियों को चोदने का मौका खो चुका हूँ। तुमने चुदासी रंडी की तरह मेरी ही मौजूदगी में अपने बेटे को स्तनपान कराते हुए मुझे उकसाया था। जानबूझ कर मुझे अपना जलवा दिखाने के लिए अपने स्तन को खुला छोड़ दिया था। मैं तुम्हारे पास आ रहा था। यह जानते हुए भी तुमने अपने स्तन को ढकने का प्रयास नहीं किया था। उस वक्त मानसिक तौर पर मैं तुम्हारी चूचियों को मुँह में लेकर तुम्हारा दूध पी रहा था। लेकिन हकीकत में कुछ भी नहीं कर पाया था।’

‘जीजू.. तुम सोचोगे.. भला एक शादी-शुदा लड़की और वह भी एक साली.. ऐसा क्यों कर रही है..? मेरा पति और तुम्हारा साढू भाई.. तुम्हारी तरह लंबे अरसे तक मुझे चोदता नहीं है। उसकी वजह से मेरी सेक्स की भूख पूरी नहीं मिट पाती है और मैं तुम्हें उकसाने का प्रयास करती रहती थी।’

‘नीला.. मैंने तुम्हारे पति द्वारा तुम्हारी चुदाई का नजारा अपनी आँखो से देखा है।’

‘देखो, इस मामले में मालिक की भावना को कोसना गलत होगा, अगर तुम चाहो तो मना कर सकते हो। मैं किसी और के पास चली जाऊँगी, उसमें हमारे परिवार की बदनामी होगी, शायद मेरी शादी भी टूट सकती है, तुम चाहो तो इसे बचा सकते हो।
बाकी यह एक सनातन सत्य है कि कोई भी स्त्री या पुरूष किसी एक से शारीरिक संबंध बना कर सुखी नहीं रह सकता। परदे के पीछे ऐसे कितने नाजायज रिश्ते जन्म लेते हैं.. जो अपनी शादी की बुनियाद को टूटने नहीं देते। तुम चाहो तो मेरी दीदी के साथ मुझे भी तुम्हारी सेक्स पार्टनर बना सकते हो। बस इतना यकीन दिला दो कि हम जब भी मिलेंगे, तुम दीदी की तरह मेरी भी चुदाई करोगे। मुझे तुम अपनी पेशाब और मलाई का प्रसाद दोगे, घंटों मुझे अपने हाथ से नंगी करके.. मेरी चूत में लौड़ा डालकर मेरी चुदाई करोगे।
दीदी की तरह तुम्हारा एक हाथ मेरे मम्मों पर होगा और दूसरे मम्मे की नोक को मुँह में लेकर मेरा दूध पीते रहोगे। तुम चूचियों को चूसने में माहिर हो। तुम को एक साथ दो डेयरी का दूध हासिल होगा.. जिससे तुम्हारा स्वास्थ्य भी सुधर जाएगा।’

‘ओके डॉल.. डन.. हमारे विचार मिलते-जुलते हैं। हम दोनों चुदाई की एक नई मिसाल कायम करेंगे।’
‘हाँ.. लेकिन हमारे रिश्ते की किसी को भनक भी नहीं लगनी चाहिए।’
‘ठीक है.. हम मिलते रहेंगे.. चुदाई करते रहेंगे.. जब तक है जान..’

बस उसके बाद मेरा शारिरिक रिश्ता मेरी साली से जुड़ गया और लण्ड-चूत ने नई कहानी लिखना शुरू कर दी।
यह मेरे जीवन की सच्ची घटना है.. जो मैंने अपने शब्दों में आप तक पहुंचाया है आगे आपकी पसन्द है कि आपको यह कैसी लगी।

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